Delhi to Kedarnath Train Ticket Price 2023 | दिल्ली से केदारनाथ जानें के लिए ट्रेनों की सूची देखें At www.indianrail.gov.in

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Contents

Delhi to Kedarnath Train Ticket Price 2023 | दिल्ली से केदारनाथ कैसे जाएं!

दिल्ली से केदारनाथ कितनी दूरी पर है धार्मिक मान्यतानुसार केदारनाथ (Kedarnath Temple) को द्वादश ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlinga) में 11वां माना जाता है साथ ही यह सबसे पवित्र तीर्थस्थलों (Holy Pilgrimage) में से एक है कहा जाता है कि केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) की कहानी बेहद अनोखी और दिलचस्प है।

केदारनाथ धाम भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग नामक जिले में स्तिथ है। यहां की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मंदिर अप्रैल से नवंबर के महीने में ही खुला रहता है। दिल्ली से केदारनाथ कैसे जाएं, केदारनाथ जाने का रास्ता, केदारनाथ यात्रा का खर्च, केदारनाथ कितना किलोमीटर है, केदारनाथ कब जाये, अगर आप दिल्ली से केदारनाथ ट्रेन से जाना चाहते हैं तो आज हम आपको इस आर्टिकल में इस विषय पर पूरी जानकारी देंगे।

ट्रेन से दिल्ली से केदारनाथ कैसे जाएं?

केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हिन्दुओं का प्रसिद्ध मंदिर है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।

Delhi to Kedarnath Train

Delhi to Kedarnath Railway Ticket Price 2023 – Highlights

आर्टिकल का नामDelhi to Kedarnath Train Ticket Price 2023
सम्बद्धताहिंदू धर्म
देवताभगवान वृषभनाथ
अवस्थितिकेदारनाथ, उत्तराखण्ड
शैलीकत्यूरी शैली
निर्मातापाण्डव वंश के जनमेजय आदि पुरुष
आधिकारिक वेबसाइटbadrinath-kedarnath.gov.in

केदारनाथ धाम दर्शन का समय

बाबा केदारनाथ धाम में दर्शन के लिए पूजा के लिए गेट बंद एवं खुलने का एक निश्चित समय बनाया गया है जिस की सूची आप नीचे देख सकते हैं:

  • Kedarnath Dham का मन्दिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रात: 6:00 बजे खुलता है।
  • दोपहर तीन से पाँच बजे तक विशेष पूजा होती है और उसके बाद विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
  • पुन: शाम 5 बजे जनता के दर्शन हेतु मन्दिर खोला जाता है।
  • पाँच मुख वाली भगवान शिव की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करके 7:30 बजे से 8:30 बजे तक नियमित आरती होती है।
  • रात्रि 8:30 बजे केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
  • शीतकाल में केदारघाटी बर्फ़ से ढँक जाती है। यद्यपि केदारनाथ-मन्दिर के खोलने और बन्द करने का मुहूर्त निकाला जाता है, किन्तु यह सामान्यत: नवम्बर माह की 15 तारीख से पूर्व (वृश्चिक संक्रान्ति से दो दिन पूर्व) बन्द हो जाता है और छ: माह *बाद अर्थात वैशाखी (13-14 अप्रैल) के बाद कपाट खुलता है।
  • ऐसी स्थिति में केदारनाथ की पंचमुखी प्रतिमा को ‘उखीमठ’ में लाया जाता हैं। इसी प्रतिमा की पूजा यहाँ भी रावल जी करते हैं।
  • केदारनाथ में जनता शुल्क जमा कराकर रसीद प्राप्त करती है और उसके अनुसार ही वह मन्दिर की पूजा-आरती कराती है अथवा भोग-प्रसाद ग्रहण करती है।

इसलिए आप हरिद्वार रेलवे स्टेशन तक ट्रैन से उसके बाद हरिद्वार से सरकारी और प्राइवेट दोनों बस चलती है जो की आपको सोनप्रयाग तक ले जाएगी वहाँ से आपको लोकल गाड़ी मिल जायगी जो की गौरीकुंड तक ले जाएगी। गौरीकुंड पहुंचने के बाद आपको 16 किलोमीटर तक पैदल चलना होता है। उसके बाद आप केदारनाथ मंदिर पहुंच जाएंगे।

दिल्ली से केदारनाथ जाने का तरीका

  • दिल्ली से ट्रैन से हरिद्वार तक जाए
  • वह से बस से सोनप्रयाग तक जाए
  • सोनप्रयाग से लोकल गाड़ी कर गौरीकुंड तक जाये
  • गौरीकुंड से 16 किलोमीटर पैदल चलने के बाद केदारनाथ पहुंच जाएंगे

Kedarnath Dham, हिमालय की गोद में स्थित भगवान शिव की भक्ति का यह धाम खूबसूरत प्राकृतिक दृश्‍यों के साथ ही तमाम पौराणिक कथाओं को समेटे हुए है। 6 मई शुक्रवार को केदारनाथ मंदिर के कपाट भक्‍तों के लिए खोल दिए जाएंगे और फिर शुरू होगी केदारनाथ यात्रा। भगवान शिव के कई प्रमुख नामों में से एक केदारनाथ भी 12 ज्‍योतिर्लिंग में से एक 11वें स्‍थान पर है। भगवान शिव का नाम केदारनाथ क्‍यों पड़ा और क्‍या है इस मंदिर का इतिहास आज हम इसके बारे में रोचक बातें जानेंगे।

भगवान शिव बन गए केदारनाथ

पौराणिक ग्रंथों में Kedarnath को लेकर यह कथा मिलती है कि एक बार सतयुग में भगवान विष्‍णु ने नर और नारायण के रूप में अवतार लिया और अलकनंदा नदी के किनारे स्थित नर और नारायण पर्वत पर कठोर तपस्‍या करने लगे। इनकी तपस्‍या से शिवजी प्रकट हुए और वर मांगने को कहा। तब नर और नारायण ने शिवजी से कहा कि हे प्रभु हमें किसी और चीज चाहत नहीं है बस आप यहां आकर बस जाएं।

How can I go to Kedarnath from Delhi by train?

भगवान शिव ने खुद को शिवलिंग के रूप में खुद को प्रकट करने का वरदान दिया और स्‍वयंभू शिवलिंग के रूप में स्‍थापित हो गए। जिस स्‍थान पर शिवलिंग प्रकट हुआ, वहां पर केदार नामक राजा का सुसाशन था और भूमि का यह हिस्‍सा केदार खंड कहलाता था। तो इस प्रकार से भगवान शिव के इस ज्‍योतिर्लिंग को केदारनाथ कहा गया। शिवपुराण में केदारनाथ की पावन भूमि की महिमा के बारे में बताया गया है कि जो भी वक्‍त यहां पर मृत्‍यु को प्राप्‍त करते हैं उनके लिए सीधे मोक्ष के द्वार खुलते हैं और सीधा शिवलोक में स्‍थान मिलता है।

कहाँ जाता है कि द्वापर युग में सबसे पहले पांडवों ने इस मंदिर की खोज की थी। माना जाता है कि पापों से मुक्ति पाने के लिए शिवजी की खोज में पांडव यहां तक आ पहुंचे। मान्‍यता है कि पांडवों के वंशज जनमेजय ने मंदिर की सबसे पहले आधारशिला रखी थी। उसके बाद आदिशंकाराचार्य ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

Kedarnath Train Ticket Price 2023

कहते हैं कि यहां पर पांडवों के तपस्‍या करने के बाद शिवजी ने उन्‍हें बैल के रूप में दर्शन दिए थे। फिर पांडवों ने भोलेबाबा से वहीं पर बस जाने का आग्रह किया तो शिवजी बैल के रूप में इसी स्‍थान पर बैठ गए और शिवलिंग के रूप में स्‍थापित हो गए। इसी कारण यहां पर शिवलिंग बैल की पीठ के जैसा दिखता है।

वर्ष 2013 में जब यहां भीषण प्राकृतिक आपदा आई थी तो एक विशालकाय शिला ने मंदिर पर बाढ़ का प्रभाव नहां पड़ने दिया। तब से इस विशालकाय शिला को देव शिला के रूप में पूजा जाने लगा और मंदिर के इतिहास में एक नया अध्‍याय जुड़ गया।

Delhi to Kedarnath Train Ticket price

Delhi to Kedarnath train काफी है जो की निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन, पुरानी दिल्ली और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से चलती है. सभी ट्रैन का लिस्ट इस प्रकार है:

Train No.Train NameFromDep.ToArr.Travel
09019BDTS HW SPLNZM02.45HW08.2005.35
09609UDZ YNRK SPLDLI03.25HW08.4505.20
09031ADI YNRK SPECIALDLI05.05HW11.1806.13
02017DDN SHTABDI SPLNDLS06.45HW11.3604.51
02171LTT HW AC SPLNZM06.55HW12.2505.30
04309UJJAINI EXPRESSNZM11.40HW17.0505.25
08477PURI YNRK SPLNZM13.20HW20.2507.05
02055JAN SHATBDI SPLNDLS15.20HW19.3304.13
04041DDN FESTIVAL SPLDLI22.25HW06.2508.00
02401KOTA DDN SPLNZM23.50HW04.0004.10
09565OKHA DDN SPLNDLS10.45HW16.2005.35
06097KCVL YNRK SPLNZM06.00HW12.2506.25
04317INDB DDN SPLNZM11.40HW17.0505.25
09111BL HARIDWAR SPLNZM08.50HW14.4005.50
09017HW FESTIVAL SPLNZM08.50HW14.4005.50

New Delhi to Kedarnath Train

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से Kedarnath जाने के आपको तीन ट्रैन मिल जायेगा जो की हरिद्वार रेलवे स्टेशन तक जाती है।

Train No.Train NameFromDep.ToArr.Travel
02017DDN SHTABDI SPLNDLS06.45HW11.3604.51
02055JAN SHATBDI SPLNDLS15.20HW19.3304.13
09565OKHA DDN SPLNDLS10.45HW16.2005.35

Old Delhi to Kedarnath Train

कुछ ट्रैन पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से भी केदारनाथ के लिए जाती है ये ट्रैन भी हरिद्वार रेलवे स्टेशन तक ले कर जाती है।

Train No.Train NameFromDep.ToArr.Travel
09609UDZ YNRK SPLDLI03.25HW08.4505.20
09031ADI YNRK SPECIALDLI05.05HW11.1806.13
04041DDN FESTIVAL SPLDLI22.25HW06.2508.00

Note : आपको बता दें कि इसमें दी गई ट्रेनों की सूची आप ऑफिसियल वेबसाइट पर चेक कर ले क्योंकि आए दिन है ट्रेनें कैंसिल होती रहती है। इस तरह से आप इस लेख में दिए गए ट्रेनों की सूची देखने के बाद इंडियन रेलवे के ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर अवश्य चेक कर लें।

Delhi to Kedarnath Distance by Train New Ticket price

सड़क मार्ग से दिल्ली से केदारनाथ के बीच की दूरी है452 किमी
उड़ान द्वारा दिल्ली से केदारनाथ के बीच की दूरी है296 किमी
सड़क मार्ग से दिल्ली से केदारनाथ की यात्रा का समय है9:10 घंटा

केदारनाथ धाम में पूजा का कार्यक्रम

भगवान की पूजाओं के क्रम में प्रात:कालिक पूजा, महाभिषेक पूजा, अभिषेक, लघु रुद्राभिषेक, षोडशोपचार पूजन, अष्टोपचार पूजन, सम्पूर्ण आरती, पाण्डव पूजा, गणेश पूजा, श्री भैरव पूजा, पार्वती जी की पूजा, शिव सहस्त्रनाम आदि प्रमुख हैं। मन्दिर-समिति द्वारा केदारनाथ मन्दिर में पूजा कराने हेतु जनता से जो दक्षिणा (शुल्क) लिया जाता है, उसमें समिति समय-समय पर परिर्वतन भी करती है।

केदारनाथ से बद्रीनाथ कैसे जाते हैं?

केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी लगभग 315 किलोमीटर है। 315 किलोमीटर की दूरी में केदारनाथ से गौरीकुंड का 18 किलोमीटर का पैदल ट्रेक भी शामिल है। गौरीकुंड से 5 किलोमीटर की दूरी पर सोनप्रयाग जगह है जहाँ सभी वाहनों की पार्किंग होती है। सोनप्रयाग (केदारनाथ) से बद्रीनाथ की सड़क मार्ग दूरी तय करने में लगभग 7 से 8 घंटे का समय लग जाता है। केदारनाथ से बद्रीनाथ जाने के दो सड़क मार्ग हैं। बद्रीनाथ जाने के लिए केदारनाथ के पास फाटा, गुप्तकाशी या सिरसी हेलिपैड से हेलीकाप्टर भी बुक किया जा सकता है।

केदारनाथ कब जाना चाहिए

केदारनाथ जाने के लिए सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर माना जाता है। इस दौरान मौसम काफी सुखद पाया जाता है। यह मंदिर केवल गर्मियों में ही खुलता है।हर साल इस  मंदिर के कपाट बंद होने और खोलने में कुछ ही दिनों का फर्क होता है।

क्योंकि इसे खोलने के लिए एक मुहूर्त निकाला जाता है और यह मुहूर्त हिंदी पंचांग के अनुसार ही होता है। कपाट खुलने का समय अक्षय तृतीय तथा उसके बंद होने का समय दीपावली के आसपास का होता है।

कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें

  • कोरोना प्रोटोकॉल एवं सामाजिक दूरी का पालन करना अनिवार्य होगा।
  • देवस्थानों में आवास, खान-पान, चिकित्सा-स्वास्थ्य, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाये।
  • देवस्थानों/मंदिरों में दर्शन के दौरान मूर्तियों को छूने की नहीं होगी अनुमति।
  • चारों धामों में मौसम सर्द है, तीर्थ यात्री अपने साथ गर्म कपड़े जैसे कि स्वेटर,शॉल,जैकेट एवंटोपीआदिसाथ लायें।
  • तीर्थ यात्री मौसम की जानकारी प्राप्त कर यात्रा करें।
  • यात्रा के दौरान किसी भी सहायता के लिए पुलिस, पर्यटन विभाग, देवस्थानम बोर्ड में संपर्क करें।

चारों धामों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन

यात्रा हेतु पोर्टल badrinath-kedarnath.gov.in पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है तथा प्रत्येक श्रद्धालु को अधिकतम 72 घण्टे पूर्व की कोविड नेगेटिव रिपोर्ट अथवा वैक्सीन की डबल डोज़ लगी होने का सर्टिफिकेट ले जाना अनिवार्य है। वही covid पास भी होना जरुरी है जिसके लिए ऑफिसियल वेबसाइट smartcitydehradun.uk.gov.in पर जा कर रेजिस्टशन कर सकते है।

Kedarnath (केदारनाथ धाम) Train Related FAQs.

केदारनाथ की कहानी क्या है?

केदारनाथ मंदिर की कथा (Kedarnath Temple Story): केदारनाथ मंदिर के विषय में प्रचलित कथा के अनुसार, पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव नें उन्हें हत्या के पाप से मुक्त कर दिया था. मान्यता है कि महाभारत के युद्ध में विजयी होने पर पांडव अपने भाईयों की हत्या से मुक्ति के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहते थे.

केदारनाथ का क्या महत्व है?

केदारनाथ धाम का है सर्वोच्च स्थान: बारह ज्योतिर्लिंग में केदारनाथ धाम का श्रेष्ठ स्थान है। यहां भगवान शिव के पृष्ठ भाग के दर्शन होते हैं। केदार का अर्थ है दलदल। पत्थरों से बने कत्यूरी शैली के मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसका निर्माण पांडवों ने कराया था।

केदारनाथ की क्या विशेषता है?

केदारनाथ मंदिर की विशेषता: पत्थरों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए इंटरलॉकिंग तरीके का इस्तेमाल किया गया है। इस मज़बूती के कारण ही मंदिर आज भी अपने उसी स्वरूप में खड़ा है। यह मंदिर तीनों तरफ से पहाडों से घिरा हुआ है और यहाँ पाँच नदियों का संगम भी होता है। उनके नाम मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी आदि है।

केदारनाथ का नाम कैसे पड़ा?

जिस स्‍थान पर शिवलिंग प्रकट हुआ, वहां पर केदार नामक राजा का सुसाशन था और भूमि का यह हिस्‍सा केदार खंड कहलाता था। तो इस प्रकार से भगवान शिव के इस ज्‍योतिर्लिंग को केदारनाथ कहा गया।

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